अमीरज़ादों पे नहीं मिला
सपना मांगलिकअमीरज़ादों पे नहीं मिला,
शख़्स-ए-आम पे तो मिलेगा
ग़रीब हैं शाह जिस सुकून से,
वो आवाम पे तो मिलेगा
ऐ दिल ले आ कहीं से,
मुट्ठी भर प्यार मुझे
माना नहीं धूप सा सस्ता,
दिल के दाम पे तो मिलेगा
दिल देकर भी मिला ना,
जो कहीं चैन हमें
ग़म-ए-मयखाने में, आँसुओं के
दाम पे तो मिलेगा
ना नींद खोकर पाया,
ना अश्क बहाकर अगर मिला
वफ़ा ना सही ‘सपना’, उसकी बेवफ़ाई के
नाम पे तो मिलेगा