अमीरज़ादों पे नहीं मिला

20-03-2015

अमीरज़ादों पे नहीं मिला

सपना मांगलिक

अमीरज़ादों पे नहीं मिला, 
शख़्स-ए-आम पे तो मिलेगा
ग़रीब हैं शाह जिस सुकून से, 
वो आवाम पे तो मिलेगा
 
ऐ दिल ले आ कहीं से, 
मुट्ठी भर प्यार मुझे
माना नहीं धूप सा सस्ता, 
दिल के दाम पे तो मिलेगा
 
दिल देकर भी मिला ना, 
जो कहीं चैन हमें
ग़म-ए-मयखाने में, आँसुओं के 
दाम पे तो मिलेगा

ना नींद खोकर पाया, 
ना अश्क बहाकर अगर मिला
वफ़ा ना सही ‘सपना’, उसकी बेवफ़ाई के
नाम पे तो मिलेगा

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें