कैसे बताऊँ कि वो कितने ख़ास में है

28-01-2015

कैसे बताऊँ कि वो कितने ख़ास में है

सपना मांगलिक

कैसे बताऊँ कि वो 
कितने ख़ास में है
ज़िन्दगी बन गया, 
मेरी हर साँस में है
 
अंदाज़ा उसके लिए मेरी तलब का 
यूँ लगाओ लोगो
शिद्दत किसी प्यासे की, 
जितनी प्यास में है
 
उसकी वजह से रोना, 
उसकी ही ख़ातिर हँसना
दिल के हर रंग वो, 
हर अहसास में है
 
उस पर मेरा यक़ीन 
ठीक कुछ वैसा ही है
एक जुआरी को जितना 
यक़ीं ताश में है
 
वो दूर होके भी दूर नहीं 
तुझसे ‘सपना’
सुनती हूँ आहटें, जैसे कि 
यहीं पास में है

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