अभिलाषा

03-06-2012

अभिलाषा

सपना मांगलिक

मेरे मन में जाग उठी है एक अभिलाषा
नारी जीवन की पूर्ण बनूँ मैं परिभाषा
 
बहन, बेटी, पत्नी, भाभी बनकर
पूरी की है हर रिश्ते की आशा
अपनी ममता को दे जनम मैं अब
पूरी कर लूँ एक परिवार की अभिलाषा
 
अपनी जान की जान को जब मैं
अपने अन्दर आत्मसात करूँगी
पालकर कोख में अपने बच्चे को
अपने ही बचपन की कल्पना करूँगी
गुनगुनी धूप में बैठ के घंटों मैं
नन्हे के टोपी स्वेटर बुनूँगी
 
घूमेगा जब वो कोख में मेरी
दर्द मुझे होगा हल्का-हल्का सा
तभी तो महसूस कर पाऊँगी मैं
पहला-पहला स्पर्श उसका वो प्यारा सा
 
अच्छी-अच्छी किताबें पढ़ मन रखूँगी शांत सा
दोहराती रहूँगी संस्कार औ शिक्षा की बातें
जिन्हें सुन नन्हा वीर बनेगा अभिमन्यु सा
चारों तरफ़ लगे होंगे सुन्दर चित्र बच्चों के
उनसे भी सुन्दर होगा मुखड़ा मेरे नन्हे का
मासूम सी होगी आँखें उसकी गोल-मटोल
तन भी नर्म मुलायम होगा कलियों सा
 
सबके मन को मोह लेगा वो बाबू
चितचोर बनेगा माखनचोर कृष्ण जैसा
गोद जब लूँगी पहली बार उसे में'
दुलार उपजेगा सीने से मेरे अमृत सा
सो जाएगा हो तृप्त गहरी निद्रा में
मुन्ना मेरा भोला-भला सा
मेरे मन में जाग उठी ये प्रबल लालसा
माँ बनने की हो जाए पूरी अभिलाषा

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