मन के हारे हार है मन के जीते जीत
अर्चना कोहली ‘अर्चि’
मन के हारे हार है, मन के जीते जीत।
जीवन-पथ दुष्कर भले, धीरज का यह गीत॥
कंटक फैले राह में, मत निराश हो आज।
रखना मंज़िल याद तू, पूरे समस्त काज॥
अगणित दुश्मन देखकर, मत डरकर भाग।
हो संतति इस देश की, अब तो मानव जाग॥
खिलते हैं सुख-दुख यहाँ, फिर क्यों बहते नीर।
क्यों पीछे तू है खड़ा, डटकर सह ले पीर॥
रत्नाकर की क्रोड़ में, अगणित है रत्न।
पाता उनको वह सदा, जो करता है यत्न॥
पाना इच्छित लक्ष्य है, मन में रख विश्वास।
दुख में जो डरता नहीं, सब कुछ उसके पास॥
रवि भी होता अस्त है, वह भी सहता घात।
जो जाने यह सत्य है, पाए सुंदर प्रात॥
सीख बुज़ुर्गों से मिले, रखें मनोबल पास।
सपने होते पूर्ण हैं, जग में बनता ख़ास॥
पहले मानी हार है, कैसे पाए जीत।
मत पड़ना कमज़ोर तू, साहस होता मीत॥
सदा लक्ष्य संधान कर, पौरुष मत तू त्याग।
श्री का मिलता वर हमें, ख़ुशियों का हो राग॥