खाल खींचती सत्ता

15-12-2022

खाल खींचती सत्ता

दौलतराम प्रजापति (अंक: 219, दिसंबर द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

खाल खींचती सत्ता। 
ताक लगाए
हम पर बैठा
पथ में पत्ता-पत्ता॥
 
सूखी रोटी
बासी चावल। 
बेगारी के मिले
हमें फल॥
कभी न देखे
नए नवेले
तन पर कपड़ा लत्ता॥
 
अधिकारों की
सतत लड़ाई। 
पटी न लेकिन
गहरी खाई। 
जब भी माँगें
हम अपना हक़
खाल खींचती सत्ता॥
  
मेहनतकश
दिन-रात जूझते
कोठी बँगले
ख़ून चूसते
मेज़ें पीट
बढ़ा लेते जो
अपना वेतन भत्ता॥

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