जीवन का आधार है नारी

01-09-2023

जीवन का आधार है नारी

डॉ. पुनीत शुक्ल (अंक: 236, सितम्बर प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

जीवन का आधार है नारी
वीणा की झंकार है नारी
हारे मन सूखे अधरों को
पीयूष-बूँद का पान है नारी
 
शिव के मस्तक की गंगा बन
अमृत का संचार है नारी
कान्हा की मुरली बनकर के
पवित्र प्रेम-अनुराग है नारी
 
लरजाये मासूम अधर को
जीवन का अधिकार है नारी
जीवन की इस समर भूमि में
गांडीव की टंकार है नारी
 
सरिता की कल-कल में नारी
वृन्दा की सर-सर में नारी
जीवन के इस रंगमंच की
हर सरगम हर ताल में नारी
 
त्याग, समर्पण, करुणा
ममता के मूर्त रूप में
तप, त्याग, तपस्या और 
कृष्णा की गीता का पर्याय है नारी
 
नश्वर जीवन के इस कठिन कल्प में
ईश्वर का संज्ञान है नारी

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