जीवन का आधार है नारी
डॉ. पुनीत शुक्ल
जीवन का आधार है नारी
वीणा की झंकार है नारी
हारे मन सूखे अधरों को
पीयूष-बूँद का पान है नारी
शिव के मस्तक की गंगा बन
अमृत का संचार है नारी
कान्हा की मुरली बनकर के
पवित्र प्रेम-अनुराग है नारी
लरजाये मासूम अधर को
जीवन का अधिकार है नारी
जीवन की इस समर भूमि में
गांडीव की टंकार है नारी
सरिता की कल-कल में नारी
वृन्दा की सर-सर में नारी
जीवन के इस रंगमंच की
हर सरगम हर ताल में नारी
त्याग, समर्पण, करुणा
ममता के मूर्त रूप में
तप, त्याग, तपस्या और
कृष्णा की गीता का पर्याय है नारी
नश्वर जीवन के इस कठिन कल्प में
ईश्वर का संज्ञान है नारी