जानता हूँ मैं किसी की लानतें अच्छी नहीं

15-08-2020

जानता हूँ मैं किसी की लानतें अच्छी नहीं

बृज राज किशोर 'राहगीर' (अंक: 162, अगस्त द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)

जानता हूँ मैं किसी की लानतें अच्छी नहीं
पर सुनूँ कब तक कि मेरी आदतें अच्छी नहीं


दोस्तों के साथ कुछ पीना-पिलाना क्या हुआ
बड़बड़ाए लोग ऐसी दावतें अच्छी नहीं


फूल में गूँथा हुआ दिल जब उन्हें भेजा गया
ये कहलवाया तुम्हारी हरकतें अच्छी नहीं


होश से कर बेदख़ल मजनू बना दे आपको
मान लेना आजकल वे चाहतें अच्छी नहीं


बस मुहब्बत की हुकूमत ही सदा क़ायम रहे
आदमी की आदमी से नफ़रतें अच्छी नहीं

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