आपकी याद ने यूँ सँवारा मुझे, जैसे सरगम सँवारे है अलाप को
घुँघरुओं की खनक जो सँवारे थिरक, एक तबले पे पड़ती हुई थाप को
आपके पाँव के चिह्न जब से पड़े अंगनाई की देहरी पर प्रिये
ख़ुश्बुओं में घुले रंग सिन्दूर के, बिम्ब बन कर निहार करे आपको

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