आप-अंतराल के पश्चात

18-06-2010

आप-अंतराल के पश्चात

स्व. राकेश खण्डेलवाल

 

नैन में आपके है अमावस अँजी, 
और पूनम है चेहरे पे इठला रही
ताप्ती नर्मदा और गोदावरी, 
चाल का अनुसरण हैं किये जा रही
एक संदल के झोंके में घुल चाँदनी 
आपकी यष्टि के शिल्प में ढल रही
आपके होंठ छू वादियों में हवा, 
प्यार के गीत नव आज है गा रही

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