दर्पण (आदित्य तोमर)

15-05-2020

दर्पण (आदित्य तोमर)

आदित्य तोमर ’ए डी’ (अंक: 156, मई द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)

यह संसार परिपूर्ण है 
दर्पणों से, 
वे दर्पण जो दिखाते हैं हमें 
जो हम सत्य मानते हैं
वे जो हर आभास को 
सत्य कर देते हैं, 
ये दर्पण हमारी हर 
स्वार्थी कल्पना का 
प्रतिबिम्ब हमें दिखाते हैं
ये बताते हैं, जो हम चाहते हैं
ये होते हैं हमारे प्रिय 
और हमारी सोच के 
अनुसार, 
न चलने पर हम 
इनको कर देते हैं
भंग, 
किन्तु एक दर्पण जो 
बनाया है ईश्वर ने,
वो जो दर्पण है अंतर्मन का, 
वह दिखाता है,
जो हम नहीं चाहते,
वह जिसे हम चाह 
कर भी 
नहीं कर सकते भंग, 
'दर्पण' जो हमारे प्रभुत्व
से परे है।

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