आओ, तुम्हें...

15-03-2021

आओ, तुम्हें...

आदित्य तोमर ’ए डी’ (अंक: 177, मार्च द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

आओ, तुम्हें आँख भर देख लें,
तुम ही तो सारा संसार हो
प्रिये! तुम हो मंदाकिनी
नीर पावन गंगा की जलधार हो,
आओ, तुम्हें...


 तुम हो जैसे कि कोई मधुर कल्पना 
हो गयी हो जीवित किसी क़लम से 
तुम हो जैसे कि उषा की पहली किरण
चल पड़ी हो सूर्य के महल से 
तुम हो जैसे कि ईश्वर का कोई वर 
तुम हो जैसे कि दैवीय उपहार हो
आओ, तुम्हें...
 
जीवन की इक राह पर थे हम मिले,
कुछ दूर तक साथ थे हम चले
यूँ तो हो गए अलग हम तुम्हारे लिए
पर हो तुम जीवन हमारे लिए
तुम हो मेरी व्यथा का इक सरल हल
तुम हो जैसे कि कोई उजियार हो
आओ, तुम्हें...
 
आओ, तुम्हें आँख भर देख लें
तुम ही तो सारा संसार हो
आओ, तुम्हें...

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