उड़ान संख्या 2020
डॉ. कौशल श्रीवास्तवइन्टरनेट पर मैंने ख़रीदा यात्रा टिकट
शायद दूसरी तरफ़ एक रोबोट बैठा था,
कृत्रिम बुद्धि का सौदागर, सर्वज्ञान संपन्न
डिजिटल युग का स्वामीl
“मेरा समय होगा 31 दिसम्बर की समाप्ति
अर्थात रात के बारह बजे – 24.00 घंटा।”
“महाशय, 24.00 घंटा मेरी स्मृति में नहीं है
क्या आपका मतलब 00.00 घंटा से है?”
“नहीं, 00.00 घंटा का अर्थ है दिन की शुरुवात
लेकिन मुझे जाना है दिन के ठीक अन्त पर,
अपने अधिकारी से कहो इसका समाधान करे
एटॉमिक घड़ी के युग में शुद्धता आवश्यक है।”
“हाँ महाशय, मैं ज़रूर कहूँगा
अब अपने सामान के विषय में बतलाएँ
कितने किलोग्राम?”
“शून्य किलोग्राम – यह मेरे टिकट पर लिख दो
अन्यथा मुझे सामान रहित कहेंगे!”
“मैंने आजतक ऐसा नहीं सुना
इस सामान के अन्दर कौन सी वस्तुएँ हैं?
आप जैसे यात्री तो विशेष पुरस्कार के योग्य हैं
हवाई जहाज़ का ईंधन बचाकर प्रदूषण कम करते हैं।”
“मेरे सामान में शामिल है
सद्भावना, प्रेम, और मधुर अनुभव
जिसे तौलने के लिए कोई तराजू नहीं है।
मैंने विषाद, ईर्ष्या, और दुखद क्षणों जैसी
भारी वस्तुओं को पीछे छोड़ दिया है।”
कुछ सेकंड की रहस्यमयी चुप्पी के बाद
कंप्यूटर पुनः जीवित हो उठा:
“यद्यपि आपकी वस्तुएँ हमारे डेटाबेस में नहीं हैं
विशेष अनुमति से उनकी स्वीकृति मिल गई है।
अब बताएँ, आपके केबिन बैग में क्या है?
“किताबें, तथा लम्बी यात्रा के लिए
थोड़ा काजू, पिस्ता, और बादाम।”
तभी कंप्यूटर से उच्च स्वर में आवाज़ आई
“क्या आप पागल हैं?
या कोई कवि हैं? या दार्शनिक लेखक हैं?
आजकल किताबें तो स्मार्टफोन में आती हैं
यदि गर्लफ़्रेंड या पत्नी के लिए उपहार ले जाएँ
तो ज़िन्दगी मधुर होगी।”
ऐसे निर्भीक सुझाव पर चकित होकर
मैंने भी एक व्याख्यान दे डाला:
“ऐतिहासिक वैभव के लिए
आजकल भूगर्भ विज्ञानी ज़मीन खोद रहे हैं
एक दिन वे हमारी किताबें भी खोजेंगे।
मानव समकक्ष बुद्धि होने पर
तुम्हारे जैसे रोबोट भी उन्हें ‘बादलों’1 में खोजोगे।”
शीघ्र ही कंप्यूटर पूछ बैठा:
“क्या आपकी वापसी उड़ान भी होगी?”
“हाँ, मैं लौटूँगा
ऐसी ही उड़ान संख्या 2021 से
चूँकि दुनिया दुर्भाग्य ग्रस्त है, कोरोना का प्रकोप है
जीवन अनिश्चित है और समय लम्बा है,
सामान के वज़न का पूर्वानुमान मुश्किल है।
यदि भगवान् की कृपा रही
तो वह पुनः शून्य किलोग्राम रहेगा।”
एक आख़िरी सवाल:
“क्या आपने यात्रा बीमा ख़रीद लिया है?
अभी ख़रीदने पर चालीस प्रतिशत की छूट है।”
“वह राशि कोरोना का टीका ख़रीदने में काम आएगी
अन्यथा मेरी वापसी भी अनिश्चित होगी।
एक अनुरोध है
यदि मैं कोरोना-वायरस का भोजन बन गया
तो वापसी टिकट की राशि ‘रेड क्रॉस’ को भेज देना।”
1. ‘बादल’ - cloud computing का सांकेतिक प्रयोग)
(आंशिक रूप से मेरी किताब ‘कविता सागर’ २०१७ से उद्धृत।)