तमसो मा ज्योतिर्गमय

15-07-2022

तमसो मा ज्योतिर्गमय

डॉ. रानू मुखर्जी (अंक: 209, जुलाई द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

पात्र:

मदन, गोपाल, कन्हा, मानस, राधा, पुष्पा, कोमल, कमला, दीनदयाल और सुधा। 

 

(सभी विद्यार्थी एक ही कक्षा के तो नहीं थे पर आपस में अच्छे मित्र हैं। और इन सब ने आपस में मिलकर जो नुक्कड़ नाटक का नक़्शा तैयार किया वह यहाँ आप लोगों के सामने प्रस्तुत है।)
 
 (15 अगस्त आ रहा था। स्कूल में हलचल मची थी और बच्चों में उत्तेजना फैली थी। इस बार बाहर जाना है और कुछ अलग करना है। हर बार की तरह नहीं। हर कोई कुछ नया करने की और आगे बढ़कर मैडम से अपनी बात मनवाने की सोच रहा था। स्कूल में मदन और गोपाल की दोस्ती बहुत प्रसिद्ध थी। दोनों कुछ न कुछ नया करने की सोचते रहते थे और इस बार जबसे मैडम ने 15 अगस्त को नुक्कड़ नाटक की बात की है तब से दोनोंं बहुत ख़ुश हैं और सभी के साथ मिलजुल कर कुछ करने की सोच रहें हैं। और इसका परिणाम यह निकला कि कुछ ही दिनों में यह नुक्कड़ नाटक की योजना बनकर तैयार हो गई।) 
 
 (गोपाल चिंतित होकर टहलता हुआ मंच पर आता है। मंच के दो-एक चक्कर लगाकर चिंतित मुद्रा में मंच के बीच में खड़ा हो जाता है। तभी मदन आता है और गोपाल को चिंतित देखकर पूछता है।) 

मदन:

अरे गोपाल क्या बात हो गई? बहुत चिंतित हो? 

गोपाल:

भाई मदन तुमने कुछ सुना क्या? 

 मदन:

किस बारे में . . . लड़कियों के बारे में? 

गोपाल:

आजकल लड़कियों की पढ़ाई-लिखाई को लेकर काफ़ी ज़ोर-शोर से चर्चा हो रही है। उनको पढ़ाना है। शिक्षित करना है। 

मदन:

तो इसमें ग़लत क्या है? सभी को पढ़ने लिखने का हक़ मिलना चाहिए। वो भी तो समाज का एक हिस्सा हैं। 

गोपाल:

बस बस। अब लगा तू भी लेक्चर देने। उधर घर में लेक्चर सुनो मम्मी का कि पुष्पा को पढ़ाना है और यहाँ पर तू भी सुनते ही शुरू हो गया। 

मदन: 

अरे भाई कुछ ग़लत हो तो चुप रहूँ न। पुष्पा के पढ़ने में क्या बुराई है मुझे समझ में नहीं आ रहा है? 

 

(इतने में गरबे की धुन में झुमते हुए मानस और राधा का मंच पर प्रवेश। मदन भी उनके साथ जुड़ जाता है और गरबा करने लग जाता है) 

 

गोपाल:

कुछ समझ है कि नहीं? यहाँ एक गंभीर विषय पर चर्चा हो रही है और आप सब हैं कि नाच गाने में मगन हैं? 

मानस:

(कुछ सोचने की मुद्रा में) कौन सी गंभीर बात? इन दिनों तो एक पर एक गंभीर मुद्दों पर चर्चाएँ हो रही हैं भई। एक बताऊँ तो विद्यालयों में और सार्वजनिक स्थानों में शौचालय की व्यवस्था करनी ज़रूरी हो गयी है। इस विषय पर सरकार की ओर से विशेष ज़रूरी निर्देश दिया गया है। 

गोपाल:

ऐसा क्या? पर शिक्षा और शौचालय का क्या रिश्ता? 

मानस:

 न! बहुत बड़ा रिश्ता है। जहाँ इतने सारे बच्चे पढ़ते हों और इतने सारे लोग  इकट्ठे होते हों, वहाँ तो सफ़ाई सबसे ज़्यादा ज़रूरी है। 

 

(कंधे पर बैग लटकाए हुए तेज क़दमों से कोमल का प्रवेश) 

 

गोपाल:

अरे! अरे! ये कोमल कहाँ भागी जा रही है। 

 

(सभी उस ओर देखते हुए) 

 

कोमल:

आज मुझे स्पेशल क्लास एटेंड करनी है। मैडम ने जल्दी स्कूल बुलाया है। ऐनसीसी में जिनको ज्वायन करना है उनको जल्दी बुलाया है। अब तक तो मैडम आ गई होंगी। 

गोपाल:

ये जो लड़कियों को पढ़ाने वाली बात थी वहाँ तक तो ठीक थी। पर ये ऐनसीसी वाली बात तो गले नहीं उतरी। 

मानस:

लड़कियों की पढ़ाई के बारे में तो आप लोगों को कैसे समझाया जाए। ये तो परिवार के लिए इतना ज़रूरी है जितना कि शरीर के लिए भोजन। लड़कियों की शिक्षा के बीना समाज “अपंग” (ज़ोर देकर बोलता है) है। समाज का एक हिस्सा कमज़ोर हो तो स्वस्थ और संतुलित समाज का निर्माण हो ही नहीं सकता है। शिक्षित नारी घर को संस्कारी और सही मार्ग दिखाती है। 

कोमल:

परिवार में सभी पढ़े-लिखे हों तो घर में एक सामंजस्य पूर्ण वातावरण की स्थापना हो सकती है। चिंतन और वैचारिकता में एकता भी भावना, एक स्वस्थ्य समाज के लिए अति आवश्यक है। 

 

(मंचपर राधा, कमला और सुधा का प्रवेश) 

 

गोपाल:

क्या सभी लोग ऐनसीसी के लिए जा रहें हैं? 

कोमल:

गोपाल आप तो ऐसे बोल रहे हैं जैसे ऐनसीसी न हुआ कोई हऊआ हुआ। 

गोपाल और मदन एक साथ:

तो समझाओ न? तीनों ऐनसीसी में जाएगें? 

सुधा:

मैं बताती हूँ, ऐनसीसी का मतलब हिन्दी में “राष्ट्रीय कैडेट कोर” होता है।  इसमें शारीरिक प्रशिक्षण के साथ ही कई सारी शिक्षाएँ प्रदान की जाती है। 

कमला:

विशेष रूप से नेतृत्व की योग्यता, आत्मविश्वास, सम्मान की भावना,  संचार कौशल और सबसे महत्त्वपूर्ण सेना के बारे में ज्ञान। 

सुधा:

हमारे समाज के हर क्षेत्र में लड़कियों को पिछड़ेपन का शिकार होना पड़ता है। पुरुष वर्ग को ही अधिक महत्त्व दिया जाता है सो स्त्रियों का आत्मविश्वास अक़्सर कमज़ोर ही रहता है। पर ऐनसीसी हमें जीवन के हर क्षेत्र में  कार्य करने के लिए अनुशासन और आत्मनिर्भरता की शिक्षा देती है। 

 

(दीनदयाल और कान्हा का प्रवेश) 

 

दीनदयाल:

केवल पुरुष वर्ग ही इन गुणों के हक़दार हो यह अन्याय है। 

 

(पुष्पा मंच पर प्रवेश करती हुई . . .) 

 

पुष्पा:

भैया गोपाल! मैंने भी पढ़ाई के साथ-साथ ऐनसीसी ज्वायन किया है। मैं भी सभी के सामने अपने विचारों को रखना चाहती हूँ। ‘पढ़ी-लिखी नहीं है’ अब और ये नहीं सुनना है। अगर मैं शिक्षित नहीं हुई तो अपने परिवार को शिक्षित कैसे करूँगी। सभ्य और संस्कारी कैसे बनाऊँगी। 

 

(राधा बोल उठी) 

 

राधा:

इसलिए नारी शिक्षा और स्वस्थ रहने के लिए सफ़ाई अभियान के इस आन्दोलन में हम सहयोगी बनेंगे और इस संदेश को जन जन तक पहुँचाएँगे।

कमला:

आज़ादी के अमृत महोत्सव के विषय में सुना है न? सभी को जागृत करना है। 

मानस:

सही कहा कमला तुमने। आज़ादी के अमृत महोत्सव, भारत की सामाजिक-सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक पहचान के बारे में प्रगतिशील है। ‘आज़ादी के अमृत महोत्सव’ की अधिकारिक यात्रा 12 मार्च 2021 को शुरू होती है, जो हमारी स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगाँठ के लिए 75 सप्ताह की उल्टी गिनती शुरू करती है और यह 15 अगस्त 2023 को एक वर्ष के बाद समाप्त होगी। 

पुष्पा:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने मार्च के महीने में गुजरात के साबरमती आश्रम से स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव की शुरूआत की थी। 

कमला:

उन्होंने कहा था राष्ट्र का गौरव तभी जागृत होगा जब हम अपने स्वाभिमान और बलिदान को याद करेंगे और उसे अगली पीढ़ी को भी बताएँगे। 

दीनदयाल:

आज़ादी के अमृत महोत्सव का अर्थ है स्वतंत्रता की उर्जा का अमृत। 

सुधा:

आज़ादी के 75 वर्ष में भारत ने विज्ञान, तकनीक, कृषि, साहित्य, खेल आदि क्षेत्रों में जो उल्लेखनीय तरक़्क़ी की है उस विषय में जागृति फैलाना।

कोमल:

बीते 75 सालों में अपनी अंदरूनी समस्याओं, चुनौतियों के बीच देश ने ऐसा कुछ ज़रूर हासिल किया है जिसकी तरफ़ पूरा विश्व आकर्षित हो रहा है। 

गोपाल:

मुझे अब लड़कियों को शिक्षित करने के महत्त्व के बारे में समझ में आ गया है। पुष्पा मुझे माफ़ कर दे। मैं अब कभी भी तेरी पढ़ाई को लेकर विरोध नहीं करूँगा। हम दोंनो साथ-साथ स्कूल जाएँगे। 

मानस:

हम सभी मिलकर स्कूल से लेकर पूरे शहर में सफ़ाई अभियान के बारे में और “अमृत महोत्सव” के विषय में लोगों में जागृति फैलाएँगे। 

गोपाल:

हाँ सही है मानस हम सब एक जुट होकर देश के इस विराट महोत्सव का हिस्सा बनेंगे और देश की प्रगति में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेंगे। देश के जितने उन्नती मूलक कार्य हैं सब में हमारा होगा हाथ। 

दीनदयाल और मानस:

सबका साथ होगा तभी देश विकास की ओर बढ़ेगा। 

राधा, पुष्पा, कमला और सब मिलकर:

चलो जश्न मनाएँ। आज़ाद भारत के आज़ादी का जश्न। 

(सब मिलकर एक साथ)

जय हो, जय भारत। नमस्कार। 

1 टिप्पणियाँ

  • 12 Jul, 2022 12:15 PM

    Very good, appropriate for school to stage during Independence day celebration.

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