स्वागत है ज़िन्दगी तेरा

01-01-2025

स्वागत है ज़िन्दगी तेरा

रुचि श्रीवास्तव  (अंक: 268, जनवरी प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

स्वागत है ज़िन्दगी तेरा
जहाँ तू ले जा रही है, 
वहीं जा रही हूँ। 
जो पसंद आता है, 
रुक जाती हूँ थोड़ा, 
वरना आगे बढ़ी जा रही हूँ। 
बहुत मोड़ मिल रहे है अनजाने, 
सँभल सँभल के चली जा रही हूँ। 
अच्छी यादों को समेट के, 
बुरी बातों को फेंकती जा रही हूँ। 
बहुत ही ख़ूबसूरत ज़िन्दगी मिली है मुझे, 
उसे बस अच्छे से जिए जा रही हूँ। 

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