हाँ मुझे इश्क़ है तुझसे

01-02-2025

हाँ मुझे इश्क़ है तुझसे

रुचि श्रीवास्तव  (अंक: 270, फरवरी प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

हाँ मुझे इश्क़ है तुझ से, 
क्या करूँ कम ही नहीं होता। 
तेरा सहारा भी नहीं मुझे, 
वरना कुछ और ही मंज़र होता॥
 
इस दिल से तेरे इश्क़ की 
प्यास जाती ही नहीं, 
कुछ भी जतन कर लूँ मैं, 
इस बैचैनी में रात कटती नहीं॥
 
तेरी हूँ, तुझे ये पता भी है, 
फिर भी तू इतना बेदर्द क्यूँ है, 
क्या बताऊँ मैं तुझे, 
हाल बेहाल मेरा क्यूँ है॥
 
अब जो हाल बताया तुझे जो, 
क्या तू थोड़ा भी बदलेगा
या फिर मेरी सिसकती यादों के सहारे भी 
आगे का जीवन कटेगा॥

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