क्या लिखूँ

01-01-2025

क्या लिखूँ

रुचि श्रीवास्तव  (अंक: 268, जनवरी प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

क्यूँ लिखूँ तुम्हें मैं कुछ, 
तुम तो नज़र-अंदाज़ कर दोगे। 
मन के भावों को सजा के भी लिखूँगी, 
फिर भी तुम भाव नहीं दोगे। 
वैसे तो लिखती आई हूँ सिर्फ़ तुम्हारे लिए, 
सब पढ़ते हो तुम, 
जैसे हमेशा से नज़र-अंदाज़ करते आए हो, 
ये भी वैसे नज़र-अंदाज़ कर दोगे। 
मेरे सारे भावों को तुम समझते हो, 
बोलते हो तुम भी यही भाव रखते हो मेरे लिए, 
पर, तब भी तुम इन शब्दों को अपने दिल तक
पहुँचने नहीं दोगे॥

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