न घबराना
रुचि श्रीवास्तव
थोड़ी कोशिश करो हो जाएगा न
मंज़िल को थाम के चलो, न घबराना।
आएँगी मुश्किलें, पर तुम आगे बढ़ना
न डरो तुम, न ही कोई संशय रखना।
शुरू में हर चीज़ मुश्किल लगती है,
पर प्रयत्न करते रहो, फिर देखो
कठिनतम मंज़िल भी आसान लगती है।
लोगों की बातों में न आना,
देखो कोई भी नहीं चाहेगा तुम्हें आगे बढ़ता हुआ,
ख़ूब रोड़े अटकाएँगे, बनते काम बिगाड़ेंगे।
पर तुम मत घबराना, अपने लक्ष्य पर अडिग ही जाना।
देखो जब तुम्हारी सफलता शोर मचाएगी,
ये दुनियाँ भी ख़ूब सिर झुकयेगी।
और तुम शिखर पर पहुँच जाना,
अपना मस्तक ऊँचा रखके, जड़ों को भूल न जाना।