चली चंचला
रुचि श्रीवास्तव
तरुणी तनुजा ताल के तट पर खड़ी तरुवर की छाँव में,
विकल विह्वल विचलित होती जाती वृक्ष की साँझ में,
अपने मन मंदिर में मनभावन प्रिय की मूर्ति रखके,
चली चंचला चपल चपल प्रियवर की बाँह में॥
तरुणी तनुजा ताल के तट पर खड़ी तरुवर की छाँव में,
विकल विह्वल विचलित होती जाती वृक्ष की साँझ में,
अपने मन मंदिर में मनभावन प्रिय की मूर्ति रखके,
चली चंचला चपल चपल प्रियवर की बाँह में॥