मुझे जब से अपना बनाया है उसने

01-02-2025

मुझे जब से अपना बनाया है उसने

रुचि श्रीवास्तव  (अंक: 270, फरवरी प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

बहर: मुतकारिब मुसम्मन सालिम
अरकान: फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन
तक़्तीअ: 122    122    122    122
 
मुझे जब से अपना बनाया है उसने
मिरे साथ सपना सजाया है उसने
 
वो लगता है आँखों को इक ख़्वाब जैसा
दिल-ओ-जान से हमको चाहा है उसने
 
है पल भर गुज़ारा नहीं उसके बिन अब
हमें जान कह कर पुकारा है उसने
 
वो माथे पे रहता है शृंगार बन कर
दिवाना मुझे यूँ बनाया है उसने
 
न सोचा न समझा, क़सम हमने खाई
वफ़ाओं का दीया जलाया है उसने 

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