रिमझिम–रिमझिम बारिश आयी

15-07-2024

रिमझिम–रिमझिम बारिश आयी

जय प्रकाश साह ‘गुप्ता जी’ (अंक: 257, जुलाई द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

बादल आया, बिजली चमकी, 
बूँद-बूँद से गागर छलकी, 
चहो दिशाओं में ख़ुशियाँ लायी, 
रिमझिम–रिमझिम बारिश आयी॥
 
बंजर खेत, सूखे बाग़, 
बरस रहा था सूरज का ताप, 
सभी ओर हरियाली लायी, 
रिमझिम–रिमझिम बारिश आयी॥
 
मोर, पपीहा, कोयल झूमे, 
रह-रह कर धरती को चूमे, 
सूखी-बंजर मिट्टी से भी, भीनी–भीनी ख़ुश्बू लायी,     
रिमझिम–रिमझिम बारिश आयी॥
 
कल-कल कर बह रही है नदियाँ, 
गिरते झरने जैसे सफ़ेद चुनरिया, 
ख़ुशियों की बहार है लायी, 
रिमझिम–रिमझिम बारिश आयी॥

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