मेरी कक्षा के नटखट बच्चे
जय प्रकाश साह ‘गुप्ता जी’
सुन्दर चेहरा, भोली आँखें,
तुतलाती ज़ुबान, कनखियों से ताकें,
है पर वो मन के सच्चे,
मेरी कक्षा के नटखट बच्चे॥
लड़ते-झगड़ते, गिरते-पड़ते,
मन मुटाव भी ख़ूब हैं करते,
फिर हो जाते सारे इकट्ठे,
मेरी कक्षा के नटखट बच्चे॥
पढ़ना कम, मस्ती है ज़्यादा,
बात बनाने में, हैं सब के दादा,
शरारत में है सबसे अच्छे,
मेरी कक्षा के नटखट बच्चे॥
प्यार दिखाएँ, ममता जगायें,
ग़ुस्सा दिला, कभी रुलायें,
लगते अपने, ये मन के कच्चे,
मेरी कक्षा के नटखट बच्चे॥