नानी के घर जाएँगे
जयराम जय
गर्मी की छुट्टी में हम फिर
नानी के घर जाएँगे
घर आँगन में दौड़-दौड़ के
हल्ला ख़ूब मचाएँगे
मामा बंद किये मुँह रहते
मामी भी चुप रहती हैं
नानी के आगे नाना की
सचमुच कुछ ना चलती है
छोटे-बड़े बनेंगे डिब्बे
छुक-छुक ट्रेन चलाएँगे
बच्चों के ख़ातिर तो नानी
रहतीं सदा मुलायम हैं
जो भी वादा करती हरदम
रहती उसमें क़ायम हैं
नानी से पैसे लेकर के
चाट-बताशा खाएँगे
बाग़ बग़ीचे लदे फलों से
हमको पास बुलाते हैं
अमिया, इमली, जामुन, टपका
खाते नहीं अघाते हैं
धमा-चौकड़ी मचा ताल में
छप-छप ख़ूब नहाएँगे
थककर चूर-चूर जब होते
नानी पैर दबाती हैं
कथा कहानी परियों वाली
हमको रात सुनाती हैं
पता नहीं हम कब सो जाते
सुबह-सुबह मुस्काएँगे
गर्मी की छुट्टी में हम फिर
नानी के घर जाएँगे
घर आँगन में दौड़-दौड़ के
हल्ला ख़ूब मचाएँगे