लेकिन तुम्हें दिल से भुलाना कठिन है

15-07-2022

लेकिन तुम्हें दिल से भुलाना कठिन है

जयराम जय (अंक: 209, जुलाई द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

प्यार करना सरल पर निभाना कठिन है
राह काँटों की चल मुस्कुराना कठिन है
 
बंद करके वो बैठे हुए दिल की साँकल
द्वार पत्थर का अब खटखटाना कठिन है
 
कोशिशें मौन होके सब किनारे खड़ी
रूठे यार को सचमुच मनाना कठिन है
 
बहुत दूर हमसे तुम चले तो गए हो
लेकिन तुम्हें दिल से भुलाना कठिन है
 
छूट जाए अगर साथ साथी का तो
दर्द दिल का किसी को सुनाना कठिन है
 
आ गया है प्रतीक्षा में मधुमास क्या
छोड़ा है क्या-क्या ये बताना कठिन है
 
हैं दिखावे के रिश्ते हुए आजकल तो
एक-दूजे कोअब मुँह दिखाना कठिन है
 
ज़िन्दगी से हो गये हैं परेशान 'जय'
रात-दिन नाज़-नखरे उठाना कठिन है

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