दे दिया उसने है ईंट गारा मुझे
जयराम जयमिल गया साथ जब से तुम्हारा मुझे
ज़िन्दगी तूने हर पल सँवारा मुझे
नाव मेरी भँवर में फँसी जब कभी
पार तुमने ही आकर उतारा मुझे
मन भटकने लगा जब इधर से उधर
आँख का दे दिया बस इशारा मुझे
देखते-देखते घर ये कब बन गया
दे दिया है उसने ईंट गारा मुझे
ख़ाली झोली मेरी उस पल भर गई
जब मिला आपका नेह सारा मुझे
भाव सद्भाव का कौन रखता है यहाँ
एक तेरा ही रहता सहारा मुझे
पास उनके यथा शीघ्र पहुँचा सदा
प्यार से जब किसी ने पुकारा मुझे
जन्म पाया यहाँ व खेला-कूदा यहीं
‘जय’ यही चमन सबसे है प्यारा मुझे