मुँह बोले मित्र

01-04-2024

मुँह बोले मित्र

भुवनेश्वरी पाण्डे ‘भानुजा’ (अंक: 250, अप्रैल प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

सच्चे मित्र तो बस तुम हो
हर क्षण हर घड़ी साथ हो
फिर भी जब संसार से
उलझना होता है, ये मुँह बोले मित्र आ जाते हैं
 व्यवहार का हाल पूछते हैं
व्यवहार की चाल बताते हैं
हम भी अनभिज्ञ की तरह
उन्हें ही सच मानते हैं, ये मुँह बोले मित्र जो हैं। 
 
अचानक बहुत सारे सालों के बाद
बड़ी ज़्यादा घटनाएँ याद दिलाते हैं। 
कैसा साथ निभाया था बताते हैं
आगे कोई ज़रूरत हो तो हम साथ हैं, बताते हैं
यह मुँह बोले मित्र अचानक उभर के आते हैं
सच्चे मित्र तो भगवन तुम हो
भले में ना बुरे में आते हो
हर क्षण, हर घड़ी साथ निभाते हो
ना कुछ पूछते हो, ना बताते हो
मुस्कुराकर आँखें मूँद लेते हो
एक मौन सी धुन सुनाते हो
जगाते हो, दुलराते हो, सुलाते हो। 
तुम उन मुँह बोले मित्रों से
कितने भिन्न हमें अनुभव कराते हो। 
सच्चे मित्र तो भगवन बस तुम हो, बस तुम हो। 
अँधियारा हो, प्रकाश हो, घाम हो या छाया हो
शीत हो, हिम हो, दूर हो पास हो
हाथ पकड़े लिए जाते हो
सच्चे मित्र तो बस तुम हो, 
सम्पूर्ण शापथ निभाते हो
हर घड़ी, हर क्षण सब जगह साथ चले आते हो
हमारे अतिरिक्त तुम्हें कोई व्यस्तता भी नहीं
यह जताते हो, 
सच्चे मित्र तो बस तुम हो प्रभु, तुम ही तो हो। 
 

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