हमारी हिंदी और हम

01-09-2021

हमारी हिंदी और हम

भुवनेश्वरी पाण्डे ‘भानुजा’ (अंक: 188, सितम्बर प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

जैसे लहरों को जल से,
तरंगों को हवा से
अलग नहीं कर सकें,
हम और हमारी हिंदी,
 
जैसे ज्ञान को विचार से, 
परम को ध्यान से,
जैसे पवन को सुगंध से
रंग को पुष्प से,
विभाजित न कर सकें, 
वैसे हम और हमारी हिंदी।
 
जैसे माँ को सन्तान से, 
उसके प्रेम को आशीर्वाद से,
जन्म से मृत्यु को, 
भिन्न ना कर सकें, 
वैसी हम और हमारी हिंदी।
 
जैसे त्वचा को उसके रंग से, 
हाथ की रेखाओं को भाग्य से, 
जैसे वर्तमान को भविष्य से, 
जुदा न कर सकें, 
वैसी हम और हमारी हिंदी। ‌
 
जैसे सूर्य को प्राण से,
पक्षियों को उनकी उड़ान से, 
चंद्रमा को शीतलता से, 
अलग नहीं कर सकते, 
वैसी हमारी हिंदी और हम॥

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