आत्मा का अभ्युदय

01-04-2024

आत्मा का अभ्युदय

भुवनेश्वरी पाण्डे ‘भानुजा’ (अंक: 250, अप्रैल प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

रे मन आत्मा का अभ्युदेय कर ले
शान्ति एवं संतोष से मित्रता कर ले
सम्बन्धों का रेखा गणित
अब तू समझ ले। 
हल्का हो कर, ऊपर ऊपर तैरना सीख ले, 
रे मन स्थिर हो कर चिन्तनशील हो जा
गम्भीर बन सागर बन जा, 
व्यर्थ की शब्दावली का त्याग कर
आत्म चिन्तन और एकान्त से प्रेम कर ले। 
उस रस को खोज जो, कहीं छूट गया था। 
नरे रंगों को पहचान, आनन्द से भर, 
कुछ सत्य नहीं, जो प्रत्यक्ष है, वही सत्य जान। 
सूर्य से प्रकाश माँग, जल से पवित्रता, 
वायुस एवैराग्य ग्रहण कर ले
 रे, मन आत्मा का अभ्युदय कर ले! 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
स्मृति लेख
कविता - हाइकु
कहानी
सामाजिक आलेख
ललित निबन्ध
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में