मीरा याज्ञिक की डायरी 

15-06-2021

मीरा याज्ञिक की डायरी 

दीपक गिरकर (अंक: 183, जून द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

त्रैमासिक पत्रिका: विश्व गाथा का अप्रैल-जून 2020 अंक
संपादक: श्री पंकज त्रिवेदी
सम्पादकीय कार्यालय: विश्व गाथा, 
गोकुलपार्क सोसायटी, 80 फीट रोड, 
सुरेंद्रनगर - 363002 (गुजरात) 

विश्व गाथा एक साहित्यिक एवं स्तरीय त्रैमासिक पत्रिका है। विश्व गाथा का अप्रैल-जून 2020 अंक गुजराती कथाकार बिंदु भट्ट के उपन्यास "मीरा याज्ञिक की डायरी" पर केंद्रित है। विश्व गाथा साहित्यिक पत्रिका के संपादक श्री पंकज त्रिवेदी ने अपने सम्पादकीय में इस लघु उपन्यास की सारगर्भित समीक्षा में लिखा है कि 'मीरा याज्ञिक की डायरी' "रूढ़ियों और कामवर्जनाओं की बंदिशों को तोड़कर नया आयाम स्थापित करने वाला लघु उपन्यास है।” विश्व गाथा के इस अंक में 21 आलोचकों के आलोचनात्मक मानीखेज आलेख शामिल किए हैं जो मीरा याज्ञिक की जीवन यात्रा के अनछुए पहलुओं, मीरा के जीवन के अंतर्द्वंद्व को देखने-परखने और इस उपन्यास की नायिका मीरा की शख़्सियत को समग्रता से समझने के लिए नई रोशनी देते हैं। राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित इस गुजराती उपन्यास का हिंदी अनुवाद डॉ. वीरेंद्र नारायण ने किया है। यह लघु उपन्यास डायरी शैली में लिखा गया है। "मीरा याज्ञिक की डायरी" 31 दिसंबर से शुरू होकर 30 दिसंबर तक चलती है। इस डायरी के कुछ पन्ने कोरे भी हैं।

श्री दयाशंकर लिखते हैं – अपना जिस्म और दिल जलने का दर्द मीरा के सिवा भला कौन जान सकता है? श्री प्रकाश मिश्रा के अनुसार यह उपन्यास एक अत्यंत संवेदनशील युवती की दिन-प्रतिदिन बढ़ती हुई परिपक्वता एवं सौंदर्यपरकता की कथा है। गीता नायक ने इस उपन्यास के संबंध में लिखा है कि गुजराती उपन्यास साहित्य में मीरा याज्ञिक की डायरी का विषय नया है। स्त्री-स्त्री के बीच का समलैंगिक संबंध स्त्री लेखिका के द्वारा प्रगाढ़ता से चित्रित हुआ है। यह नयी अभिव्यक्ति है। इससे पहले के निश्चित आकारबद्ध आधुनिक लघु उपन्यासों में अंतरिक तत्व के बल की कमी थी‌। इस उपन्यास में अंतःसत्व का बल अपनेपन के साथ प्रकट हुआ है। बाबू दावलापुरा लिखते हैं, “मीरा की एकलतामूलक संवेदना का स्थायीभाव उत्तरोत्तर अधिक गहन बनता जाए और अन्तत: करुणा का ही पर्याय बना रहे, इस हेतु योजित परिस्थितियों के निर्माण में एवं विभाव रूप गौण पात्रों के संविधान में लेखिका की अप्रतिम कला-सूझ के दर्शन होते हैं।” शशि कला राय ने लिखा है कि वास्तव में यह डायरी उस लड़की की अकथ कथा है जिसने समंदर के ख़्वाब देखने का जुर्म किया है। यह आत्मकथा है। उपन्यास है। डायरी है। संबंधों की सभी मान्यताएँ इस डायरी तक आकर ध्वस्त हो जाती हैं। मीरा ना केवल अपने आसपास के लोगों के व्यवहार का विश्लेषण करती है बल्कि हर क़दम ख़ुद को भी आईने के सामने रखती चलती है। भरत मेहता लिखते हैं "फूट निकलने वाली रोम-रोम की संवेदना से डायरी छलकती है। अंतरजीवन का यह गाढ़ स्पर्श जीवन्त है।" रमेश र. दवे के अनुसार मीरा याज्ञिक की डायरी भ्रमनिरसनजन्य पीड़ा की कथा है। वंदना देवेंद्र ने लिखा हैं मीरा याज्ञिक की डायरी  एक मुखर अभिव्यक्ति है जो मीरा के लिए उसकी दु:खभरी स्मृतियों से निवृत्ति का साधन हो सकती है। यह उसके साहस से ही संभव हो सका होगा। लक्ष्मी शंकर वाजपेयी ने लिखा है कि यह एक सुशिक्षित, भावुक एवं बौद्धिक युवती की गहन संवेदनशीलता एवं तीव्र अंतरिक आकुलता का जीवंत एवं मार्मिक दस्तावेज़ है। प्रतिष्ठा पंड्या ने मीरा याज्ञिक की डायरी को पढ़कर लिखा हैं “पहली बार गुजराती साहित्य में किसी महिला साहित्यकार द्वारा रोमांचक ढंग से सजातीय संबंधों को इस एक सीमा में रहते हुए इस तरह दर्शाया हैं, जो काबिले तारीफ़ है।” लाभशंकर ठाकर लिखते हैं कि इस लघु उपन्यास की विशेषता "लाघव" है। दो पृष्ठों पर "वृंदा नहीं" ऐसा वाक्य लिखा है जो नायिका के वियोग और अकेलेपन की भावना को व्यक्त कर देता है। रघुवीर चौधरी के अनुसार बिंदु भट्ट के लेखन में काव्यात्मकता है। साहित्य की जानकारी है। परन्तु कथा के अंत में उभरती एकलता की शिकायत, उपयोग के बाद उपेक्षित होने की एकपक्षीय संबंध विषयक वितृष्णा के साथ रुक जाने में कितना औचित्य है? क्या जीवन और जगत ने तुम्हें इतना ही दिया है? किसी प्रेम कथा का उपसंहार नकारात्मक नहीं होता है। अगर प्रेम हो तो? मीरा याज्ञिक की डायरी को आगे बढ़ना पड़ेगा। 

चंद्रकांत टोपीवाला इस लघु उपन्यास के बारे में लिखते हैं "उपन्यास एक बुद्धिजीवी और संवेदनशील नारी के संबंधों को समझने का मंथन प्रस्तुत करता है। और ऐसा करने में उपन्यासकार ने जर्मन कवि रिल्के से लेकर दोस्तोयेव्स्की का आधार तो लिया ही है किन्तु इसके साथ-साथ अन्य कलाओं का भी आधार लिया है।" मधुराय ने इस लघु उपन्यास को नारी के सजातीय संबंध के नाज़ुक क्षणों की डायरी कहा है। विजय शास्त्री ने लिखा हैं "इस प्रकार टेकनीक के सायास चुनाव ने अभिव्यक्ति को धारदार बनाया है। कई जगह तो कथावस्तु की सामान्यता, रूढ़ता ने भी इस स्वगोक्तिजन्य आरूढ़ता को गलाकर आस्वाद्यता प्रदान की है। कुछ विवरण छोड़ दिए गए होते तो यह रचना अधिक चुस्त बन पाती परन्तु दूसरी ओर मीरा के मनोजगत के उस भाग का दर्शन न हो पाता, यह भी सच है। मीरा के मन का जो अशेष परिचय प्राप्त होता है उसमें विघ्न खड़ा होता।" रमण सोनी ने अपनी आलोचना में लिखा हैं "एक तरफ़ तीव्र आत्मगौरव की सजगता और दूसरी ओर प्रेम की संवेदना के प्रवाह का तीव्र आकर्षण मीरा याज्ञिक के व्यक्तित्व को निर्मित करते हैं।" चंद्रकांत बक्शी ने अपनी आलोचना में लिखा है "मीरा याज्ञिक की डायरी में सिर्फ़ लेस्बियन रंग ही नहीं, यह तो केवल एक आयाम है, जो मुझे पसंद आया है। स्त्री की आँखों में आँसू क्यों ख़ूबसूरत लगते हैं?" रमणलाल जोशी लिखते हैं “मीरा याज्ञिक की डायरी सजातीय स्त्रीसंबन्धों का निरूपण करनेवाला एक ऐसा प्रयोगशील लघु उपन्यास है जिसमें एक मनुष्य की अन्तर-बाह्य घुटन की यह कथा है, जो मार्मिक ढंग से कही गई है।” श्री प्रकाश मिश्रा ने अपनी आलोचना में लिखा हैं “मीरा याज्ञिक की डायरी” गुजराती साहित्य में नए दृष्टिकोण का विकास करती है।” एस्थर डेविड के अनुसार सघन और संकुल मानव संबंधों के अत्यंत महीन ताने-बाने को सहजता से बुनने की क्षमता बिन्दु भट्ट की क़लम में है। बिन्दु भट्ट शारीरिक आवेगों के वर्णन के लिए किन्हीं प्रतीकों की आड़ नहीं लेती। उपन्यासकार शब्दों के माध्यम से दृश्य चित्रों का आलेखन करती है। महेश शाह के अनुसार मीरा याज्ञिक की डायरी सजातीय संबंध की संवेदना है। ईश्वरसिंह चौहान ने अपनी आलोचना में कहा है "संबंधों के सत्यान्वेषण के अंत में मीरा की सहज संवेदना खो गई है। आधुनिक स्त्री के इस चेतना विस्तार के कारण समकालीन आधुनिक कथा साहित्य में यह कृति उल्लेखनीय बनने में सक्षम है।"

रचना दीक्षित ने इस उपन्यास पर अपनी प्रतिक्रया इस तरह दी है - निश्चय ही इस उपन्यास में लेखिका नारी मन की वेदनाओं और संवेदनाओं को एक अलग ही दृष्टि से देखने और दिखाने में सफल रही है, जिस दृष्टि से शायद कोई देख ही नहीं पाया। डॉ. काकोली गोराई ने अपनी सारगर्भित समीक्षा में लिखा हैं - एक लघु उपन्यास में इतना विवादास्पद एवं सशक्त विषय का चित्रण बिंदु भट्ट ने ने बख़ूबी किया है। नारी हृदय के एक निराले पहलू का साक्षात्कार इस लघु उपन्यास में हुआ है। नारीवाद की परवाह किये बिना समलिंगी भावुकता का पर्दाफ़ाश लेखिका कराती है और अपने लघु कलेवर में हमारी चेतना को अनेक स्तर पर छूते हुए विस्तार देती है। एकाकी स्त्रियों की पीड़ा क्या होती है, उनकी मानसिकता कैसी होती है, उसकी पहचान बिंदु भट्ट के लघु उपन्यास की मीरा, वृंदा, मीरा की माँ आदि की अवस्था से गुज़रने के पश्चात हमें मालूम होती है। 

वर्ष 1992 में ही यह उपन्यास इतना अधिक चर्चित हुआ कि साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं में लगभग 20 ग्रंथावलोकन प्रकाशित हुए। इस उपन्यास ने आलोचनात्मक लेखों का कीर्तिमान बनाया है। मुंबई और दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय द्वारा पाठ्यपुस्तक के रूप में यह उपन्यास शामिल किया गया। अंग्रेज़ी की प्रसिद्ध मासिक पत्रिका "डेबोनेर" में भी इस पुस्तक का उल्लेख हुआ था। इस लघु उपन्यास में समालोचकों के लिए भी सीखने को बहुत कुछ है। ऐसे गंभीर प्रश्न और पक्ष जो अभी तक स्त्री विमर्श में पूर्तणया उपेक्षित थे, पर इतने सार्थक और संवेदनशील ढंग से बिंदु भट्ट द्वारा विचार किया गया, यह काबिलेतारीफ़ है। इस उपन्यास की लेखिका बिंदु भट्ट जो गांधीनगर में महिला कालेज में हिंदी की प्रध्यापिका है, उन्होंने इस कृति के विषय में कहा है "साहसी दिखने की सजगता से मैंने इस विषय का चयन नहीं किया है। यह कृति मीरा की प्रखरता के कारण चर्चित हुई।" “मीरा याज्ञिक की डायरी” सिर्फ़ एक वर्ष की डायरी है। बिंदु भट्ट ने मीरा के जीवन संघर्ष को, उसके द्वंद्व को जिस कौशल से इस उपन्यास में पिरोया है वह अद्भुत है। इस कहानी की पात्र मीरा को जिस प्रकार कथाकार ने गढ़ा है, उससे ऐसा लगता है कि मीरा सजीव होकर हमारे सामने आ गई है। इस उपन्यास की नायिका मीरा सहजता से समाज और नारी मन का यथार्थ सामने रख देती है। मीरा स्त्री के मनोभावों को सहजता से व्यक्त करती है। मीरा के बहाने दरअसल, स्त्री की स्थिति के अनेक कोण यहाँ खुलते हैं। इस एक वर्ष की डायरी में वैचारिक अंतर्द्वंद्व के भँवर में डूबती-उतरती एक महिला मीरा याज्ञिक के मन की उथल-पुथल की कहानी है। सहज, संवेदनशील मानव मन से साक्षात्कार कराती इस कथा में कथाकार ने कथा की नायिका मीरा याज्ञिक के मनोभावों को ख़ूबसूरती से व्यक्त किया है। कथाकार की परिवेश के प्रति सजग दृष्टि है। उपन्यास के केंद्र में मीरा याज्ञिक की मुख्य भूमिका है। यह उपन्यास मीरा याज्ञिक, वृंदा, उजास इत्यादि पात्रों के जीवन, उनके सुख-दुःख को बयां करता है। उपन्यास में उज्ज्वला, शुभांगी, उषा, कालिंदी, हिना, रुचि, तरूण जैसे अन्य गौण पात्र हैं, जिनकी अलग-अलग गरिमा है। उपन्यास के पात्र गढ़े हुए नहीं लगते हैं, सभी पात्र जीवंत लगते हैं। “मीरा याज्ञिक की डायरी” रोचक है। इस डायरी की कथा में सहजता है। इस लघु उपन्यास में प्रेम, आसक्ति, विरक्ति, भावुकता, सम्मोहन, आनन्द, आत्मीयता इत्यादि मनोवृत्तियाँ बड़े सूक्ष्म रूप से स्पष्ट हुई है। संबंधों को और घटनाओं को व्यावहारिक सत्य के साथ और प्रखरता के साथ अभिव्यक्त करने की कला कथाकार बिंदु भट्ट में है। कथाकार ने इस लघु उपन्यास में प्रतीकों, बिम्बों, सांकेतिकता का सार्थक प्रयोग कर अपनी कलात्मक क्षमता का परिचय दिया है। लेखिका ने जीवन की विडम्बनाओं के साथ नारी मन की गहराइयों, दैनंदिन स्थितियों की जटिल अनुभूतियों, ज़िंदगी के ठंडे-गरम लम्हों का चित्रण संजीदगी से किया है। “मीरा याज्ञिक की डायरी” में मीरा के मन की बेबाक, निश्छल, निस्संकोच अभिव्यक्ति और भावनाएँ चित्रात्मकता के साथ बरबस व्यक्त हुई है। लेखिका ने इस लघु उपन्यास को काफ़ी संवेदनात्मक सघनता के साथ प्रस्तुत किया है। कथाकार बिंदु भट्ट ने मीरा के माध्यम से स्त्री संवेगों और मानवीय संवेदनाओं का अत्यंत बारीक़ी से और बहुत सुंदर चित्रण किया है। इस कथा में अनुभूतियों की मधुरता है, बिछोह की कसक है, अकेलेपन से उबरने की तीव्र उत्कंठा है और पुन: जीवन जीने की उत्कट अभिलाषा है। इस लघु उपन्यास में एक नारी की संवेदनाओं की पराकाष्ठों, स्त्री के अंदर की फैंटेसी और उसके विचलन को सहजता और साहस के साथ बख़ूबी चित्रित किया है। का दृश्य विधान इसकी ताक़त है। कहीं-कहीं तो लगता है हम इसके साथ बह रहे हैं। पात्रों के आचरण में असहजता नहीं लगती, संवाद में स्वाभाविकता बाधित नहीं हुई है। के पात्रों के अंतस के तार-तार खोलकर सामने लाती हैं। “मीरा याज्ञिक की डायरी” जीवन की तल्ख़ सच्चाइयों से रूबरू करवाती है। अपनों से विस्थापित होने का दर्द और रिश्तों की आर्द्रता को बयान करती है “मीरा याज्ञिक की डायरी” के दो पृष्ठ जिसमें लिखा है "वृंदा नहीं"। यह उपन्यास बिंदु भट्ट की रचनात्मक सिद्धि का एक अभिनव आयाम है। मेरे मतानुसार “मीरा याज्ञिक की डायरी” एक उत्कृष्ट, कालजयी कृति है। इस लघु उपन्यास ने पठनीयता के नये मानदंड स्थापित किए हैं। विश्व गाथा का यह अंक उत्कृष्ट, पठनीय और संग्रहणीय है।

दीपक गिरकर
समीक्षक
28-सी, वैभव नगर, कनाडिया रोड,
इंदौर- 452016
मोबाइल : 9425067036
मेल आईडी : deepakgirkar2016@gmail.com

 
 

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