लड़के 

वैदेही कुमारी (अंक: 198, फरवरी प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

ये लड़का होना भी आसान नहीं
लोग समझते हमको बस सख़्त जान ही 
ना रोना ना दिखाना प्यार कभी 
जैसे हम ने पहना हो काँटों का ताज कोई 
क्यों रखते सब आशा हमसे अजीब-सी 
जो धड़कता सीने में 
क्या वो मेरा कोमल हृदय नहीं 
क्यों ना रोऊँ और बन जाऊँ कभी प्रेमी 
है नाज़ुक मेरा दिल भी 
जो टूटे तो क्यों न आए इन आँखों में नमी 
क्यों बाँधे ये दुनिया भावनाएँ मेरी 
हूँ इंसान इसी धरती का तो मैं भी 
फिर क्यों सब बन बैठे पक्षपाती 
नारी को ही भावनाएँ ज़ाहिर करने की आज़ादी। 

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