जीवन के रंग 

01-05-2025

जीवन के रंग 

खान मनजीत भावड़िया 'मजीद’ (अंक: 276, मई प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

अगर कोई चीज़ रंगहीन है, 
तो तुम्हारा जीवन रंगहीन हो जाता है, 
आकाश में इंद्रधनुष के अद्भुत रंग, 
वे आपकी आँखें खुली रखते हैं, 
हम सभी को
वे रंग पसंद होते हैं। 
 
रंगों का एक कारण है, 
वे हर अवसर पर सदैव उपलब्ध रहते हैं, 
जब तुम पैदा हुए थे, 
तुम्हारा रंग गुलाबी था, 
आपके अम्मी-अब्बा की
आँखें ख़ुशी से चौड़ी हो गई थीं
ख़ुशी के आँसू निकले
चौधर एक क़दम और आगे बढ़ गई।
 
जब तुम बच्चे थे, 
तो रंग हरा था, 
तुम खेल के मैदान में जाओ 
और चिल्लाओ
मैं आ गया हूँ मेरे साथ कौन-कौन खेलेगा। 
 
जब तुम छोटे थे, 
रंग लाल था, 
घबराता नहीं था परन्तु 
आप अपने सपनों की लड़की को गुलाब देने से डरते हैं 
जब आप अपनी जवानी से आगे निकल जाते हैं, 
तो रंग नीला होता है, 
जब जीवन आपको संकेत देता है, 
तो आप दुनिया को चुनौती देने निकल पड़ते हैं। 
 
जब तुम्हारी शादी होगी तो
रंग सुनहरा होगा, 
आपको यह विश्वास दिलाने के लिए कि आप ज़्यादा बूढ़े नहीं हैं
आपमें अभी ताक़त बची है 
जब आप मध्यम आयु के होते हैं, 
तो रंग पीला होता है, 
जब आप ख़ुशमिज़ाज कहलाना पसंद करते हैं। 
 
 जब आप समझदार हो जाते हैं, 
तो रंग चाँदी जैसा हो जाता है 
आप स्वयं को बुद्धिमान तभी बना सकते हैं
जब आपने दुनिया को पर्याप्त रूप से देखा हो। 
 
दुनियादारी की समझ आ जाती है 
जब तुम निकलते हो तो 
रंग काला होता है, 
आपके प्रियजन आपको याद करेंगे, यही बात वे याद रखेंगे। 
 
काला रंग जीवन जीने का तरीक़ा बताता है 
आप अपने जीवन के रंग नहीं चुनते, 
निश्चिंत रहो, 
वे आएँगे, 
तुम्हें बताने के लिए कि तुम क्या हो। 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें