जी लो ज़िंदगी

15-02-2023

जी लो ज़िंदगी

नव पंकज जैन (अंक: 223, फरवरी द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

मुट्ठी से रेत की तरह फिसल जाएगी ज़िंदगी, 
मत सूखे पेड़ की तरह अकड़, 
फलों से भरे पेड़ की तरह झुकना सीख ले। 
 
गर्म तवे पर पानी की बूँद की तरह उड़ जाएगी ज़िंदगी, 
नफ़रत के आग़ोश से बाहर निकल कर, 
प्रेम की राह पर चलना सीख ले। 
 
मोम की तरह पिघल जाएगी ज़िंदगी, 
किसी को अपना बना ले, 
या किसी का बनना सीख ले। 
 
ताश के पत्तों के महल की तरह बिखर जाएगी ज़िंदगी, 
सभी नाराज़गियाँ छोड़ कर, 
 प्यारे गले लगाना सीख ले। 
 
ना जाने कब उड़न छू हो जाए ज़िंदगी, 
मत पुजारी बन, 
भगवान बनना सीख ले। 
 
दो पल की ज़िंदगी है रे पगले, 
अपना पराया छोड़, 
थोड़ा प्यार बाँटना सीख ले। 
 
कुछ भी साथ नहीं जाएगा, सब यहीं रह जाएगा, 
सब कुछ समेटना छोड़, 
थोड़ा बाँटना भी सीख ले। 

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