हिंद का परचम लहराओ

15-02-2025

हिंद का परचम लहराओ

विवेक कुमार तिवारी (अंक: 271, फरवरी द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

उठो हिंद के नवजवानो, 
ख़ुद की ताक़त अब पहचानो। 
अपने देश का मान बढ़ाओ, 
हिंद का परचम लहराओ॥
 
अपनी शक्ति को तुम जानो, 
समय की क़ीमत पहचानो। 
आलस को तो बिलकुल त्यागो, 
दूर परिश्रम से न भागो॥
 
सच्ची लगन से आगे बढ़ जाओ। 
जग में हिंद का परचम लहराओ॥
 
तुममें है सारी शक्ति समाई, 
तुमसे है वतन ने आस लगाई। 
सफलता का अब वरण है करना, 
श्रम से है फिर क्यों अब डरना॥
  
मेहनत से हर मुश्किल सुलझाओ। 
जग में हिंद का परचम लहराओ॥
 
ख़ुद का जीवन श्रेष्ठ बनाओ, 
व्यर्थ में ना समय गवाँओ। 
अपनी कठिन साधना से तुम, 
राष्ट्र को अनमोल बनाओ॥
 
माँ भारती का सम्मान बढ़ाओ, 
जग में हिंद का परचम लहराओ॥
 
सही वक़्त है सही है मौक़ा, 
फँसी हुई पतवार में नौका। 
भुजबल का तुम ज़ोर दिखाओ, 
फँसी नौकाओं को अब पार लगाओ॥
 
भारत माता का मान बढ़ाओ। 
जग में हिंद का परचम लहराओ॥

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें