दीपावली

विवेक कुमार तिवारी (अंक: 265, नवम्बर द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)


फिर आई अपनी दीपावली। 
धरा फिर रोशन कर डाली॥
 
मिलकर करते हम सफ़ाई, 
घरों की करते रँगाई-पुताई। 
जब घरों को हम चमकाएँगे, 
माँ लक्ष्मी का आशीष पाएँगे॥

दीपावली से पहले छोटी दीपावली, 
दुःख, दरिद्रता दूर करने वाली। 
उस दिन यम का दीप जलाते, 
बुराई रूपी अँधेरे को दूर भगाते॥
 
पापा गए घोसी बाज़ार, 
लाने माँ का साज-श्रृंगार। 
आज हम दीपक जलाएँगे, 
दीपों की आवलि बनाएँगे॥
 
चहल-पहल है चारों ओर, 
सर्वत्र है पटाखों का शोर। 
बच्चों ने फुलझड़ी जलाई, 
चारों तरफ़ रोशनी फैलाई॥
 
भगवन राम मेरे घर आएँगे, 
स्वागत में उनके, रंगोली हम बनाएँगे। 
उनकी आरती करके दीप जलाएँगे। 
सपरिवार श्रेष्ठ ख़ुशियाँ मनाएँगे॥
 
लक्ष्मी–गणेश का करते पूजन हम। 
वो करते दूर कष्ट और ग़म, 
मिलकर हम घर को ख़ूब सजाएँगे
पूरे मन से श्रेष्ठ दीवाली मनाएँगे॥
 
दीवाली जग में रोशनी फैलाती, 
सबके दुःख को दूर भगाती। 
सब के जीवन में प्रकाश लाकर, 
उनका जीवन श्रेष्ठ बनाती॥

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