हम तथागत के पथ पर चले

01-10-2022

हम तथागत के पथ पर चले

डॉ. प्रभाकर शुक्ल (अंक: 214, अक्टूबर प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

हमने दीये जलाये मगर, आँधियाँ भी हमीं को मिली
हम तथागत के पथ पर चले, गलियाँ भी हमीं को मिली
  
बंद गलियों में ना ला सकी, ये सुबह भी कभी रौशनी
उम्र जिनकी हमेशा रही, बदनसीबी की इक छावनी
हमने उनको दिया रास्ता, खाइयाँ भी हमीं को मिली
हमने दीये जलाये मगर, आँधियाँ भी हमीं को मिली
  
जो कभी भी नहीं उड़ सके, पंख रहकर भी लाचार थे
फूल जो ना कभी खिल सके, वो अँधेरों से बीमार थे
हमने उनको किया मुक्त था, बेड़ियाँ भी हमीं को मिली
हमने दीये जलाये मगर, आँधियाँ भी हमीं की मिली
  
चोट ख़ुद झेल पूछा मगर, हाल ठोकर से हमने सदा
पाँव छलनी हुए थे मगर, हमने काँटों से भी ली विदा
हम अहिंसा नहीं तज सके, गोलियाँ भी हमीं को मिली
हमने दीये जलाये मगर, आँधियाँ भी हमीं की मिली

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