एकत्व
वीरेन्द्र जैन
एकाकी, एकाकी, जीवन है एकाकी।
मैं भी हूँ एकाकी तू भी है एकाकी,
जीवन पथ पर है चलना हम सबको एकाकी,
एकाकी, एकाकी, जीवन है एकाकी।
ना कोई तेरा है ना है किसी का तू,
मोह के रिश्ते हैं माया का है जादू,
मोह-माया के फेरे में जीवत्व है एकाकी,
एकाकी, एकाकी, जीवन है एकाकी।
आया तू अकेला था जाएगा भी अकेला ही,
रह जाएगा सारा मेला भी झमेला भी,
आने जाने के क्रम में होना है एकाकी,
एकाकी, एकाकी, जीवन है एकाकी।
संसार के मेले में भ्रमों का रेला है,
बहने की है नियती जड़ को तो बहना है,
स्मरण मगर रख ले चेतन ये एकाकी,
एकाकी, एकाकी, जीवन है एकाकी।
ये तन है क्षणभंगुर पल में मिट जाएगा,
माटी का ये ढेला माटी में ही मिल जाएगा,
तन के इस सुख दुःख में ख़ुद को रख एकाकी,
एकाकी, एकाकी, जीवन है एकाकी।
लाया ना संग कुछ भी जाना भी है ख़ाली हाथ,
कर्मों का इक लेखा होगा बस तेरे साथ,
द्वार पर परमात्मा के हर आत्मा एकाकी,
एकाकी, एकाकी, जीवन है एकाकी।
एकाकी, एकाकी, जीवन है एकाकी,
मैं भी हूँ एकाकी तू भी है एकाकी।