भाँग के साइड इफ़ेक्ट्स 

15-03-2023

भाँग के साइड इफ़ेक्ट्स 

वीरेन्द्र जैन (अंक: 225, मार्च द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

आँखें बंद करता हूँ तो अँधेरा डराता है, 
आँखें खुली रखता हूँ तो उजाला सताता है, 
मुझे नींद नहीं आती, 
मुझे नींद नहीं आती . . .!! 
 
पैर जो पानी में डालूँ तो दिल काँप सा जाता है, 
रंग बदल नीला पड़ जाये सुन्न सा ये हो जाता है, 
दिल पे बोझ रखा है कोई, पैर उठा नहीं पाता है। 
आँखें बंद करता हूँ तो अँधेरा डराता है, 
आँखें खुली रखता हूँ तो उजाला सताता है . . . 
 
आसमान सिर पर खड़ा है ज़िद कोई लगाए रखा है, 
त्यौहार है शायद कोई सबने घर सजाए रखा है, 
गरम जलेबी मुँह में लूँ तो आँख से पानी आता है, 
आँखें बंद करता हूँ तो अँधेरा डराता है, 
आँखें खुली रखता हूँ तो उजाला सताता है . . .!! 
  
बिखर गए हैं ख़्वाब सारे अस्त व्यस्त सब लगता है, 
नीला लाल कोई भी पहने रंग चाँद पर फबता है, 
काली होती रात सबेरा लाल मगर बन जाता है, 
आँखें बंद करता हूँ तो अँधेरा डराता है, 
आँखें खुली रखता हूँ तो उजाला सताता है . . .!! 

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