एक लम्बी बारिश
सुनील गज्जाणी
झूमता,
गाता,
नाचता,
वो बूढ़ा लोगों की परवाह किए बिना
जनता घूर घूर देखती उसे
पगला गया,
मति मारी गई
कहते गली मोहल्ले वाले उसे
बे-परवाह मस्त अपनी ही धुन में
सड़कों पे भरे पानी में काग़ज़ की नाव चलाता
भरे गड्ढों में उछल-कूद
अठखेलियाँ करता
मानो, बचपना ले आयी उसका
एक लम्बी बारिश