6 छोटी कविताएँ
सुनील गज्जाणी
1
दो बूँद,
चरणों में तेरे,
चढ़ा दीं तो,
क्या हुआ,
आँखों का पानी
ही तो है।
2
औरत
एक पुल
दो ख़ानदानों के बीच।
3
मन,
मानो
कस्तूरी मृग हो।
4
मार्ग,
जीवन के भीतर,
मार्ग,
जीवन के बाहर भी।
5
रिश्ते,
सागर की भाँति भी,
रिश्ते,
गड्ढे के पानी जैसे भी।
6
रेखाएँ,
जीवन और जीवन,
के बाहर का,
ख़ास व्याकरण।