भरोसा 

मुनीष भाटिया (अंक: 286, अक्टूबर द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

जिन रिश्तों का मोल नहीं होता, 
वो दर्द के क़िस्से होते हैं। 
मतलब से जो बँधे रिश्ते हैं, 
वो बस दिखावे होते हैं। 
ईमानदारी गर व्यवहार में हो, 
वही वफ़ादारी कहलाती है, 
स्वार्थ के लिए बने रिश्ते, 
बेवफ़ाई कहलाते हैं। 
जो बुनियाद रखी झूठ पे, 
वो महज़ दिखावे होते हैं, 
दिल से जो जुड़े न हों रिश्ते, 
वो बनावटी से होते हैं। 
विश्वास के सहारे जीते हैं सब, 
मगर जब टूटता है भरोसा, 
साँस तो चलती रहती है, 
पर दिल फिर नहीं सँभलता है। 

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