बरसात की हक़ीक़त 

15-09-2025

बरसात की हक़ीक़त 

मुनीष भाटिया (अंक: 284, सितम्बर द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

बरसात आई, संग लाई पानी, 
भीगी गलियाँ, डूबी कहानी। 
स्मार्ट सिटी हो या छोटा क़स्बा, 
हर सड़क बनी जल का रास्ता। 
 
सीवर भरे, नाले उफनाए, 
ट्रैफ़िक रुका, लोग घबराए। 
प्रशासन पर उठाई उँगली, 
नहीं देखी हमने अपनी ग़लती? 
 
कचरा फेंका ख़ुद नालों में, 
प्लास्टिक बहाया चालों में। 
सड़कों पर मलबा ख़ुद डाला, 
फिर क्यों रोए जब बने ज्वाला? 
 
जब हम समझें स्वच्छता की बात, 
तभी मिटेगी बरसात की घात। 
जागे जब हर नागरिक मन, 
तभी बनेगा स्मार्ट नगर-धन। 

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