ज़रूरी तो नहीं

15-01-2024

ज़रूरी तो नहीं

निर्मला कुमारी (अंक: 245, जनवरी द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

पलकों का गिरना गिरकर उठने का अर्थ होना ज़रूरी है, 
आँखें सुन्दर हो, दृष्टिकोण सुन्दर हो ज़रूरी तो नहीं। 
 
खुले मंच में किरदार आए ज़रूरी है, 
हर किरदार का अदाकार होना ज़रूरी तो नहीं। 
 
देख लेता हूँ हर नज़र के भाव को 
किसी को जानने के लिये आँख होना ज़रूरी तो नहीं। 
 
वो रखते हैं उसकी ख़्वाहिश का ख़्याल ज़रूरी है, 
ख़्याल रखने को उससे प्यार होना ज़रूरी तो नहीं। 
 
भीगता है दुपट्टा बरसात में ज़रूरी है, 
आँखों को भिगोने को ग़म होना ज़रूरी तो नहीं। 
 
किसी को दिल में बसाने को गुंजाइश होना ज़रूरी है, 
नज़र में बसाने को देखना ज़रूरी तो नहीं। 
 
कामयाबी के लिए मेहनत तो ज़रूरी है, 
हर बार मेहनत से सफलता मिल जाये ज़रूरी तो नहीं। 
 
चाँदनी रात आँखों को सुकून देती है ज़रूर, 
हर सुकून के लिए चाँदनी होना ज़रूरी तो नहीं। 

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