तुम्हें याद है

15-05-2022

तुम्हें याद है

सूरज दास (अंक: 205, मई द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

हाँ शायद याद होगा तुम्हें
तुम मेरी शैली में हो। 
 
मैं अक़्सर भूलता हूँ कि
आख़िर मैं हूँ क्या? लेकिन 
हाँ शायद याद होगा तुम्हें, 
मैं एक सरफिरा सा हूँ। 
जिसे आशिक़ी नहीं किसी 
कि तलाश में हूँ यह कह सकती हो। 
 
हाँ शायद याद होगा तुम्हें
तुम स्वयं में एक मोती सी हो। 
जिसे धागों में पिरो कर 
रखने की अभिलाषा है मेरी। 
हाँ शायद याद होगा तुम्हें
तुम मेरी यादों में हो
जिसे याद करना सिर्फ़ 
और सिर्फ़ फ़ितरत है मेरी। 

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