क़ीमत
सूरज दास
काट लिए जाते हैं वह पेड़
जो सीधे होते हैं . . .
तोड़ ली जाती हैं वह डालियाँ
जो कोमल होती हैं . . .
निचोड़ लिया जाता है वह रक्त
जो सार्वजनिक होता है . . .
लूट लिए जाते हैं वह अवसर
जो सुनहरे होते हैं . . .
अवसरवादिता के इस शहर में
नहीं हैं तुझे कोई चाहने वाले . . .
तुझे क्या मालूम बहुत हैं
लुटेरे इस ज़माने वाले . . .
क्षण भर में रूप बदलें
अच्छा बनकर दिखाने वाले . . .
स्वार्थ-सिद्धि के बाद हाथ ना आएँ
फिर ये दिलासा देने वाले।