क़ीमत

सूरज दास (अंक: 254, जून प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

काट लिए जाते हैं वह पेड़
जो सीधे होते हैं।
तोड़ ली जाती हैं वह डालियाँ
जो कोमल होती हैं।
 
निचोड़ लिया जाता है वह रक्त
जो सार्वजनिक होता है।
लूट ली जाते हैं वे अवसर
जो सुनहरे होते हैं।
 
अवसरवादिता के इस शहर में
नहीं है तुझे कोई चाहने वाले॥
तुझे क्या मालूम बहुत है 
लुटेरे इस ज़माने वाले॥
 
क्षणभर में रूप बदले
अच्छा बनकर दिखाने वाले॥
स्वार्थ सिद्धि के बाद हाथ ना आए
फिर ये दिलासा देने वाले॥

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