तीर-कमान
राजेन्द्र शर्मा
हर शब्द क़ीमती है
इस मर्म को समझो
पहले तोलो फिर सतोलो अंत में बोलो
हर शब्द क़ीमती है
इन्हें यूँ ही व्यर्थ व्यय न करो।
हर शब्द क़ीमती है . . .
हर विचार क़ीमती है
इस मर्म को समझो
पहले मनों फिर गुणों अंत में बुनों
हर विचार क़ीमती है
इन्हें यूँ ही व्यर्थ न धुनों।
हर विचार क़ीमती है . . .
शब्द आघात है शब्द मरहम भी है
शब्द विष है शब्द अमृत भी है
शब्द घृणा है शब्द प्रेम भी है
शब्द अंधकार है शब्द प्रकाश भी है
शब्द ज्ञान है शब्द विज्ञान है शब्द परिणाम है
शब्द एक शक्ति है
इन्हें यूँ ही न ख़र्च करो।
हर शब्द क़ीमती है . . .
विचार मृत्यु है विचार सृजन भी है
विचार विनाश है विचार निर्माण भी है
विचार फ़र्श है विचार अर्श भी है
विचार भ्रम है विचार एक दिशा भी है
विचार बीज है विचार फल है विचार स्वाद है
विचार एक ऊर्जा है
इन्हें यूँ ही न प्रदर्शित करो।
हर विचार क़ीमती है . . .
शक्ति प्राण है प्राण ऊर्जा है
जब भी यह प्रकट होती है
उसका स्वभाव है
वह अपना प्रभाव अवश्य ही अर्जित करती है
मुँह से फूटे शब्द
और
मस्तिष्क से आज़ाद हुए विचार
पुनः अपने मूल स्थल पर कभी नहीं लौटते हैं॥