सिंचन

मोतीलाल दास (अंक: 209, जुलाई द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

तुम
गिरते रहे
मेरे भीतर
बारिश के बूँदें बनकर
 
मैं
भीगती रही 
उल्लास की संवेदना से
 
और हरी हो गई
ठीक धरती की तरह। 

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