श्री राधे
समीर द्विवेदी 'नितान्त'
तुम ही मीरा राधिका,
हो तुम ही घनश्याम॥
डूबा हूँ मैं सोच में,
क्या दूँ तुमको नाम॥
दो नयनों से-दो दिखें,
इत राधा-उत श्याम॥
रसना तू-एक ठीक है,
जपे जो-राधे नाम॥
राधे में ही राधिका,
राधे में ही श्याम॥
रसना नित सुमिरन करे,
राधे-राधे नाम॥