आँसू

समीर द्विवेदी 'नितान्त' (अंक: 257, जुलाई द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

लाख रोका न रुक सके आँसू॥
दर्द के साथ बह चले आँसू॥
 
तुम को देखा मचल उठे आँसू।
हाले दिल ना छुपा सके आँसू॥
 
मेरी आँखों से जो बहे आँसू।
कैसे कह दूँ वो किस के थे आँसू॥
 
चोट तो मेरे दिल ने खाई थी। 
आँख ने क्यों बहा दिए आँसू॥
 
जब कोई पोंछने नहीं आया। 
कितने मायूस हो उठे आँसू॥
 
मौन रह डबडबाई आँखों से। 
दास्तां सारी कह गए आँसू॥

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