बस इतना जानता हूँ आप का हूँ
समीर द्विवेदी 'नितान्त'मुफाईलुन मुफाईलुन फऊलुन
1222 1222 122
बस इतना जानता हूँ आप का हूँ
मैं जैसा भी हूँ अच्छा या बुरा हूँ
वफ़ा की राह पर क्या चल पड़ा हूँ
अजब हैरत है तनहा रह गया हूँ
कई नजरों में बेहद चुभ रहा हूँ
खता है सीधा सीधा बोलता हूँ
शिकायत इनसे उनसे कर रहे क्यों
कहो मुझसे अगर सच में बुरा हूँ
मेरे वालिद महज वालिद नही हैं
इन्हें मैं देवता सा पूजता हूँ
कोई नाराज़गी तुम से नहीं बस
मेरी आदत ही है कम बोलता हूँ
नितान्त उसकी मोहब्बत का असर है
सरापा इश्क़ में डूबा हुआ हूँ