श्री कृष्णावतार

01-09-2025

श्री कृष्णावतार

महेन्द्र तिवारी (अंक: 283, सितम्बर प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

नंद के आँगन आज सजे हैं दीप हज़ार, 
जन्मे हैं कान्हा, ले आए ख़ुशियों की बहार। 
 
गोपियों के मन में नाचे मुरली की तान, 
जग में गूँजा आज मधुर राधा का नाम। 
 
यमुना की लहरें आज गा रही हैं गीत, 
शंखनाद से भर उठा है हर एक मीत। 
 
माखन-मिश्री से सजी है हर थाली, 
नटखट कान्हा की लीला निराली। 
 
माँ यशोदा की आँखों में चाँद उतर आया, 
कन्हैया की हँसी में ब्रज का सुख समाया। 
 
आओ सजाएँ झूला, गाएँ हम मंगल गान, 
आज धरती पर उतरा है प्रेम का भगवान। 

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